ऋषिकेश का धार्मिक महत्व मुख्य रूप से भगवान शिव से जुड़ा है, लेकिन यह स्थान भगवान विष्णु और अन्य देवताओं की भी आध्यात्मिक विरासत को संजोए हुए है। यह शहर केवल तीर्थयात्रा का केंद्र नहीं, बल्कि योग, ध्यान और प्रकृति से जुड़ने का आदर्श स्थान भी है। ऋषिकेश हर उस व्यक्ति के लिए है, जो अपने जीवन में शांति, दिव्यता और आध्यात्मिकता का अनुभव करना चाहता है।
ऋषिकेश और भगवान शिव का संबंध | Bhagwan Shiv ka sambandh
ऋषिकेश मुख्य रूप से भगवान शिव के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र को शिव की तपोभूमि माना जाता है। गंगा नदी के किनारे बसे इस पवित्र स्थान का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। एक कथा के अनुसार, ऋषि रैभ्य ने यहाँ कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए। तभी से इस स्थान का नाम "ऋषिकेश" पड़ा।
भगवान विष्णु का उल्लेख | Bhagwan Vishnu ka ullekh
ऋषिकेश का नाम भगवान विष्णु से भी जुड़ा हुआ है। यह स्थान 'हृषिकेश' नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "इंद्रियों के स्वामी"। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने यहाँ प्रकट होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया था। लक्ष्मण झूला, जो ऋषिकेश का एक प्रमुख आकर्षण है, भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण से संबंधित है।
धार्मिक महत्व
ऋषिकेश को "देवताओं का द्वार" कहा जाता है क्योंकि यह चार धाम यात्रा (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) की शुरुआत का स्थान है। यहाँ के प्राचीन मंदिर, जैसे त्रिवेणी घाट, नीलकंठ महादेव मंदिर और भारत मंदिर, धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।